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खुला ख़त अन्ना के नाम ,

आह्वान
आह्वान
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माननीय अन्ना जी ,
सादर प्रणाम !
यहाँ सब कुशल मंगल है,ईश्वर से आपकी कुशलता की कामना पश्चात् निवेदन है की,जन हित में लोकपाल की आप की मांग का सरकार पुरजोर विरोध कर रही है! हर तरफ से उसके नुमाएंदे यह साबित करने में जुटे है की,आप किसी और की कठपुतली है !वो ऐसा पूर्व में बाबा रामदेव के सन्दर्भ में भी कह चुके है !और साम-दाम-भेद से जब बाबा नहीं माने तो दंड का इस्तेमाल करके बाबा को सलवार पहनने पर मजबूर कर दिया !और तो और बाबा की पैरवी कर रही तथाकथित मीडिया भी इन अस्त्रों से नहीं बच सकी !अब वही मीडिया बाबा की पूँछ में पलीता लगाने को आतुर है !अब बाब बेचारे हनुमान तो है नहीं की पलीता लगी पूँछ से दिल्ली की लंका में आग लगा सकें !
सुनाने में आया है की आपको भी दंड का भय दिखाया गया है !लगता है ये लोग आपके तम्बू में बम्बू करने से नहीं चूकेंगे !बड़े बेशर्म है ये लोग,किसी की परवाह नहीं करते !जिस जनता ने सत्ता दी,उसी को रात में दौड़ा-दौड़ा कर पीटा !
एक बात पूछूं अन्ना ? ध्रुस्टता के लिए छमा चाहूँगा, क्या लोकपाल से ये चोर सुधर जायेंगे ?आखिर लोकपाल कोई बोफोर्स लेकर तो नहीं घूमेगा,बेचारे को न्यायलय को ही रिपोर्ट करनी होगी !ऐसा ही है न ?अजी साहब ये चालीस चोर तो आज भी न्यायलय को ताक़ पर रखते है !सर्वोच्च न्यायलय के द्वारा विदेशो में जमा काले धन के खाताधारियो के नाम सार्वजनिक करने की सलाह की पोंगली बना कहाँ ड़ाल दिया कोई नहीं जानता !और अलीबाबा न्यायलय की इस टिप्पड़ी को सरकार के कार्यों में हस्तछेप की संज्ञा देते है !ये बड़े पहुंचे लोग है,चित भी इनकी पट भी इनकी और अंटा इनकी अम्मा का !
एक बात और अन्ना,मौसम बारिश का है !सभी जानते है की बारिश में सांप खूब निकलते हैं !लेकिन कुछ सांप आस्तीन में ही रहना पसंद करते है !जिनका इंसानियत से कोई वास्ता नहीं,लेकिन वो अपना धर्म कभी नहीं भूलते,वक़्त पाते ही डंक मारने से नहीं चूकते !षदवेश धारी ये सांप आज रंग बदलने में गिरगिट को भी मात दे रहे है !सम्हालना अन्ना, वर्ना पता चला की आपके बीन बजाने से पहले ही इन्होंने आपके अरमानो की बैंड बजा दी !
अब देखिये न इस दौर में भरोसा करें तो करें किस पर ? हर माल बिकाऊ है,बस कीमत लगाने वाला चाहिए !आप राजनीती में भ्रस्टाचार देखते है,जरा अपने चश्मे का नंबर बदलिए !हर ओर भ्रस्टाचार है,आप जिन चार खम्भों पर लोकतंत्र टिका देखते है,दरअसल चार के चारो सड़ गल चुके है,ये परिवर्तन मंगाते है,आमूल-चूल परिवर्तन !
एक नास्तिक से किसी ने पूछा अरे भाई इश्वर को कब से मानने लगे ?तो उत्तर मिला जब से भारत घूम कर लौटा हूँ !तो क्या वहां की आद्यात्मिकता ने इतना असर किया ?अरे नहीं बाबा,मैंने देखा सवा अरब जनसँख्या वाला देश लचर कानून भ्रष्ट व्यवस्ता के बीच भी फल फूल रहा है,तो कोई तो दैवीय शक्ति है जो इसे चला रही है !बस तब से मै भी इश्वर को मानने लगा !
यह देश इन तथाकथित चार खम्भों के सहारे नहीं वरन इस देश की सवा अरब जनता के जीवट के बल पर चल रहा है !मूल-भूत अधिकारों से वंचित,भूख,प्यास,बदहाली के बावजूद इसके जीवन जीने की कला को सलाम करना पड़ेगा !
अन्ना अगर यह जनता आपके साथ है तो दुनिया की कोई ताकत आपको आपके मंसूबों से अलग नहीं कर सकती !अतः लगे रहो अन्ना हम तुम्हारे साथ है !
शेष कुशल ,आपका स्नेहकांशी,
राजू

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