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प्रतिक्रिया / ( आर,एस,एस,इस गांधी को बर्बाद कर देगा ! )……क्यों भाई पांडे जी …..?

आह्वान
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प्रिय पांडे जी ,
आपने सच कहा, जो भी चाहे वो प्रधान मंत्री नहीं बन सकता !प्रधानमंत्री बनाया जाता है,सांसदों की एक ज़मात के द्वारा ,जनता के द्वारा नहीं ,शायद इसी लिए उसकी निष्ठां पार्टी अथवा सांसदों के प्रति पहले देश और जनता के प्रति बाद में दिख रही है !
सत्ता के गलियारों में हर ओर एक ही बात कही जा रही है ,संसद ही सर्वोपरी है !और सांसद .. ? भाग्यविधाता …! कैसा तमाशा है यह ? किसने बनाई संसद ? किसने बनाया संविधान ? अवाम के बीच से ही किसी ने न ? प्राचीन काल में सभ्य समाज ने समाज में व्यवहार /जीवन पद्धति को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियम और कानून बनाये ,उसी प्रक्रिया में संसद,सांसद,विधायक आदि का पदार्पण हुआ ! यह सारी की सारी रचना जनता के द्वारा जनता के लिए बनी है ! अब बताइए जनता पहले या रचना ? अरे भाई सीधी सी बात है,जो नियम -कानून जनहित में न हो उसे जनता पर थोपने से क्या भला होगा ?
ये सांसद (जन प्रतिनिधि )आज स्वयं को शासक समझते है ! आप जैसे लोगों की मानसिकता के चलते ,श्रीमान पांडे जी !ये लोग भूल जाते है की संसद की चौखट लांघने के पूर्व ये भी सवा अरब संख्या की एक इकाई मात्र थे !किस अधिकार से ये स्वयं को अति विशिष्ट मानते है ?ये यहाँ भूल जाते है की अवाम ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए इन्हें अपना प्रतिनिधि बना संसद में भेजा है ,ये हमारे प्रतिनिधि है मात्र प्रतिनिधि शासक कदापि नहीं !देश का भविष्य देश की सवा अरब ज़नता तय करेगी ,ये चन्द मुट्ठी भर लोग नहीं !
जब ये मुट्ठी भर लोग ,अवाम के मौलिक अधिकारों का हनन करने लगे तो अन्ना जैसा व्यक्तित्व भला कैसे चुप रह सकता है ! आप गरिमा की बात करते हैं ?अरे गरिमा तो आदमी के आचरण से झलकती है ,मंदिर में यदि गधा घुस जाए तो लोग गधे की पूजा नहीं करेंगे !और न ही गधे के मंदिर में घुसने से मंदिर की पवित्रता कम होगी !अब यदि गधा कहे की मैं चूँकि मंदिर में हूँ अतः मै देव तुल्य हूँ ,तो आप शायद मान लें किन्तु लोग नहीं मानेगे ,लोग गधे और इंसान में फर्क समझते हैं !
आप कहते है चुनाव लड़ लो ,लालू कहता है चुनाव लड़ लो ,सिब्बल ,दिग्विजय ,खुर्शीद ,सहाय,न जाने किस किस चारण ने कहा चुनाव लड़ो फिर मुकाबला करो ! ये कैसे चुनाव लड़ते हैं ? जग जानता है !शेषन ने इन्हें डंडा दिखाया था लेकिन ये न सुधरे !फिर देश की जनता ने हिजड़ों को भी विधान सभा में भेजा है ,तात्पर्य यह नहीं की हिजड़े काबिल थे !यह तो ज़नता का व्यवस्था के प्रति रोष था !परिणाम में हिजड़ा समझे की मैं जीत कर आया हूँ तो कोई क्या कहे !
ऐसे हालात में अन्ना जैसा व्यक्तित्व भला कैसे चुप रह सकता है !इतिहास गवाह है ,जब जब अत्याचारी शासकों ने ज़नता के मौलिक अधिकारों का हनन किया है ,तब तब जन जन के बीच से गाँधी ,जयप्रकाश ,हो ची मींच ,नेल्सन मंडेला ,मार्टीन लूथर किंग जू ,जैसे जननायक उभर कर आये हैं !
अतः दिमाग की खिड़की खुली रखिये ,स्वच्छ हवा आएगी ! ……………नमस्कार

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