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मन की बात ………….!

आह्वान
आह्वान
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मन की बात ,
मन को ही कहने दो !
कर्तव्यों की वेदी पर ,
थके पग ,
त्यक्त पाते हो ,
स्वयं को !
राग-द्वेष-भेद,
कर दरकिनार ,
आत्मभव !
मन को मनस्थ रहने दो ,
मन की बात ,
मन को ही कहने दो !

स्वप्न ,
कब होते साकार ?
कर्म को बना ,
पतवार !
जीवन की नैया को ,
धारा में बहने दो !
मन की बात ,
मन को ही कहने दो !

शुन्य से आना ,
शुन्य में जाना ,
दिख रहा जो कुछ ,
सारा बेगाना !
झूठी अभिलाषा ,
भ्रम क्षितिज सा ,
चपल अचिर मन,
अपरीछन्न रहने दो !
मन की बात ,
मन को ही कहने दो !

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