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है बुझा-बुझा सा दिल ,बोझ सांस-सांस पर ,
जी रहे हैं फिर भी हम ,सिर्फ कल की आस पर !
वो सुबह कभी तो आएगी ……..!
जिस देश का बचपन भूखा हो ,
फिर उसकी जवानी क्या होगी ?
कौन आएगा इधर ,किसकी राह देखें हम ,
जिसकी आहटें सुनी जाने किसके थे कदम !
दुनियां बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई ,
काहे को दुनियां बनायी …?
जाएँ तो जाएँ कहाँ ….?
समझेगा कौन यहाँ …..?
दर्द भरे दिल की जुबां !
हर रूह में एक गम छुपा लगे है ,
ये ज़िंदगी तो कोई बददुआ लगे है !
जाऊ कहाँ बता ऐ दिल ,दुनियां बड़ी संगदिल !
कोई होता जिसको अपना ,हम अपना कह लेते यारों …!
ये जीवन है ,इस जीवन का ,यही है रंगरूप !
अल्लाह मेघ दे ,पानी दे छाया दे !
बना के क्यों बिगाड़ा रे नसीबा उपर वाले !
ये क्या किया रे दुनियां वाले ,जहाँ के सभी गम तुमने मुझको दे डाले !
माँ मुझे अपने आँचल में छुपा ले ,गले से लगा ले की और मेरा कोई नहीं !
भूखा नंगा बचपन , न पेट को रोटी , न तन को कपड़ा, सर के छप्पर से मरहूम ! कैसी आज़ादी …? किसकी आज़ादी……??
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